Solar System In Hindi – सौरमंडल के बारे में पूरी जानकारी और रोचक तथ्य

Solar System in Hindi :- इस पोस्ट में सौरमंडल की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। सौरमंडल में कितने ग्रह है। वह ग्रह सूर्य से कितने दुरी पर है? वह ग्रह किससे बने है? हर ग्रह का आकार क्या है? उनका परिवलन और परिक्रमण समय कितना है? और सभी ग्रह की जानकारी। सौरमंडल में एक तारा याने सूर्य, आठ ग्रह याने बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, ब्रहस्पती, शनि, अरुण, वरुण और 166 उपग्रह है। सभी ग्रह सूर्य के ग्रुत्वकर्षण के कारन सूर्य के इर्द गिर्द चकर काटते है। सौर प्रणाली की खोज – कोपरनिकस ने की और सौर प्रणाली के गति का नियम केप्लर ने दिया। सूर्य (Sun) सूर्य एक तारा है जो सौरमंडल का सबसे बड़ा तारा है। जिसकी परधी 13,90,000 किलोमीटर है। अगर सूर्य की पृथ्वी के साथ तुलना करे तो पृथ्वी से सूर्य 109 गुना बड़ा है। सूर्य एक गैसिय गोला है 71% हायड्रोजन 26.5% हेलिअम और 2.5% अन्य तत्व है। केंद्र पर हाइड्रोजन के चार नाभिक मिलकर एक हीलियम का नाभिक करता है। इसके केंद्र पर नाभिकीय संलयन क्रिया होती है जो की सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य के ग्रुत्वकर्षण

Akbar mughal emperor biography in english

Abu'l-Fath Jalal-ud-din Muhammad Akbar 14 October 1542-1605 was the  third Mughal Emper or . He was conceived in Umarkot (presently Pakistan). He was the child of second Mughal Emperor Humayun.    Akbar turned into the by law lord in 1556 at 13 years old when his dad passed on. Bairam Khan was delegated as Akbar's official and boss armed force administrator. Not long after coming to control Akbar vanquished Himu, the general of the Afghan powers, in the Second Battle of Panipat. Following a couple of years, he finished the regime of Bairam Khan and assumed responsibility for the realm. He at first offered fellowship to the Rajputs. Notwithstanding, he needed to battle against certain Rajputs who contradicted him. In 1576 he vanquished Maha Rana Pratap of Mewar in the Battle of Haldighati. Akbar's wars made the Mughal realm more than twice as large as it had been previously, covering the greater part of the Indian subcontinent with the exception of the south. Akbar's rul

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राजस्थान सामान्य ज्ञान GK (राजस्थान जीके के महत्वपूर्ण प्रश्न सम्पूर्ण राजस्थान का परिचय जनरल नॉलेज ) In Hindi with All details

Rajasthan GK यहाँ  राजस्थान सामान्य ज्ञान (Rajasthan GK in Hindi) से सम्बंधित सभी अध्यायो को क्रम से दिया गया है , जो राजस्थान में आयोजित  विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए महत्वपूर्ण है| (सम्पूर्ण राजस्थान का परिचय जनरल नॉलेज प्रश्न बैंक एक जगह ) Rajasthan GK In Hindi Questions And Answers with Tricks
All Gk Geography culture Dance Location History Economy and etc.



राजस्थान शब्द का अर्थ है “राजाओं का स्थान” क्योंकि ये राजपूत राजाओ से रक्षित भूमि थी जिस के कारण इसे राजस्थान कहा गया। राजस्थान भारत के सभी राज्यों में सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान की राजधानी जयपुर है। राजस्थान भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है। राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलोमीटर है। भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41 प्रतिशत है। राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो अपने अलग-अलग प्रकार के खानपान और रंगीले प्रथाओं के लिए जाना जाता है। यहाँ लोग एक-दूसरे से अक्सर हिंदी, मार्वाड़ी, या मेवाड़ी भाषा में बात करते हैं। राजस्थान में 33 जिले हैं। इस राज्य को 1 नवम्बर, 1956 में स्थापित किया गया था। यहाँ के पहले मुख्यमंत्री हीरा लाल शास्त्री थे। यहाँ के पहले राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंघ थे। राजस्थान का सबसे ऊँचा पर्वत, माउंट आबू का गुरू शिखर पर्वत है।


राजस्थान के जिले:-
राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवंम्बर 1956 को आया। इस समय राजस्थान में कुल 26 जिले थे।

26 वां जिला-अजमेर-1 नवंम्बर, 1956

27 वां जिला-धौलपुर-15 अप्रैल, 1982, यह भरतपुर से अलग होकर नया जिला बना।

28 वां जिला- बांरा-10 अप्रैल, 1991, यह कोटा से अलग होकर नया जिला बना।

29 वां जिला-दौसा-10 अप्रैल,1991, यह जयपुर से अलग होकर नया जिला बना।

30 वां जिला- राजसंमद-10 अप्रैल, 1991, यह उदयपुर से अलग होकर नया जिला बना।

31 वां जिला-हनुमानगढ़-12 जुलाई, 1994, यह श्री गंगानगर से अलग होकर नया जिला बना।

32 वां जिला -करौली 19 जुलाई, 1997, यह सवाई माधोपुर से अलग होकर नया जिला बना।

33 वां जिला-प्रतापगढ़-26 जनवरी,2008, यह तीन जिलों से अलग होकर नया जिला बना।

चित्तौडगढ़- छोटी सादडी, आरनोद,प्रतापगढ़ तहसील
उदयपुर-धारियाबाद तहसील
बांसवाडा- पीपलखुट तहसील
प्रतापगढ जिला परमेशचन्द कमेटी की सिफारिश पर बनाया गया।प्रतापगढ जिले ने अपना कार्य 1 अप्रैल, 2008 से शुरू किया। प्रतापगढ़ को प्राचीन काल में कांठल व देवला/देवलीया के नाम से जाना जाता था।

तथ्य
कांठल का ताजमहल - काका साहब की दरगाह।

कांठल की गंगा - माही नदी।

राजस्थान का सबसे बड़ा जिला - जैसलमेर(38401 वर्ग किमी.)।

जैसलमेर भारत का तीसरा सबसे बड़ा जिला है। सबसे बड़ा जिला गुजरात का कच्छ(45,612 वर्ग किमी.) जिला है। दुसरा सबसे बड़ा जिला जम्मू-कश्मीर का लेह जिला है।


 
राजस्थान का सबसे छोटा जिला - धौलपुर(3033 वर्ग किमी.)।

जैसलमेर, धौलपुर से 12.66 गुणा बड़ा है।

भारत का सबसे छोटा जिला पांडुचेरी का माहे(9 वर्ग किमी.) जिला है।

2011 की जनगणना की दृष्टि से जयपुर(66.26 लाख) सबसे बड़ा जिला है। वहीं जैसलमेर(6.69 लाख) सबसे छोटा जिला है।

राजस्थान के जिलों की आकृतियां
सीकर - प्यालाकार/अर्द्धचंद्राकार
जैसलमेर - अनियमित बहुभुज
जोधपुर - आॅस्ट्रेलिया/मयूराकार
बाड़मेर - अलगभ भारत जैसा
दौसा - धनुषाकार
करौली - बतखाकार
टोंक - पतंगाकार/चतुर्भुजाकार
अजमेर - त्रिभुजाकार
भीलवाड़ा - लगभग आयताकार
चित्तौड़ - घोड़ की नाल सदृश्य
तथ्य
राजस्थान का गंगानगर शहर पहले एक बड़ा गांव हुआ करता था रामगनगर।

राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला जैसलमेर(38401 वर्ग कि.मी.) है जो भारत का तीसरा बड़ा जिला है( प्रथम- कच्छ, द्वितीय- लदाख या लेह ) तथा सबसे छोटा जिला धोलपुर(3033 किमी.) है।

जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला जयपुर(66.63 लाख) एवं सबसे छोटा जिला जैसलमेर(6.72 लाख) है।

राज्य का सबसे बड़ा नगर जयपुर एवं सबसे छोटा नगर बोरखेड़ा(बांसवाड़ा) है।

राजस्थान के जैसलमेर जिले को सात दिशाओं वाले बहुभुज की संज्ञा दि है।

राजस्थान के सीकर जिले की आकृति अर्द्धचन्द्र या प्याले के समान है।

राजस्थान के टोंक जिले की आकृति पतंगाकार मानी गई है।

राजस्थान के अजमेर जिले की आकृति त्रिभुजाकार मानी गई है।

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की आकृति घोड़े के नाल के समान है।

राजस्थान के दो जिले खंण्डित जिले हैं-1. अजमेर - टाॅडगढ़ 2. चित्तौड़गढ़ - रावतभाटा

राजस्थान के संभाग
देश को बेहतर ढंग से चलाने के लिए और व्यवस्था को बेहतर बनाये रखने के लिए देश को राज्यों में बांटा जाता है। फिर राज्यों को जिलों में बांटा जाता है। राजस्थान में राज्य और जिलों के बिच संभाग है। कई जिलों को जोड़ कर संभाग बनाया जाता है।

राजस्थान में वर्तमान में 7 संभाग हैं।
जयपुर संभाग- जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनू
जोधपुर संभाग- जोधपुर, जालौर, पाली, बाड़मेर, सिरोही, जैसलमेर
भरतपुर संभाग- भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर
अजमेर संभाग- अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर
कोटा संभाग- कोटा, बुंदी, बांरा, झालावाड़
बीकानेर संभाग- बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू
उदयपुर संभाग- उदयपुर, राजसंमद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा,चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़

 

राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की शुरूआत 1949 में हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा की गई।अप्रैल, 1962 में मोहनलाल सुखाडि़या सरकार के द्वारा संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। 15 जनवरी, 1987 में हरि देव जोशी सरकार के द्वारा संभागीय व्यवस्था की शुरूआत दुबारा की गई।

1987 में राजस्थान का छठा संभाग अजमेर को बनाया गया।यह जयपुर संभाग से अलग होकर नया संभाग बना। 4 जुन, 2005 को राजस्थान का 7 वां संभाग भरतपुर को बनाया गया।

तथ्य
राज्य के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री - हिरा लाल शाश्त्री (1949-1951)।

राजस्थान के पहले आम चुनाव कब हुए - जनवरी 1952 ।

पहले आम चुनाव में विधानसभा में कितनी सीटे थी -160 सीटे थी ।

विधान सभा की पहली बैठक कब और कहाँ हुई - 29 मार्च 1952 को सवाई मानसिंह टाउन हाल में ।

प्रथम राजस्थान विधान सभा (1952-1957) का उद्घाटन 31 मार्च 1952 को हुआ।

राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री - टिकाराम पालीवाल (1952)।

सर्वाधिक मुख्यमंत्री रहने का रिकोर्ड - मोहनलाल सुखाडिया (17 वर्ष ) ।

आधुनिक राजस्थान का निर्माता - मोहनलाल सुखाडिया ।

सबसे कम अवधि तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता - हीरालाल देवपुरा (16 दिन )।

राजस्थान में अनुसूचित जाती के पहले मुख्यमंत्री - जगन्नाथ पहाड़िया (भुसावर -भरतपुर )।

नया विधान सभा भवन कब बनाया गया - 2001 में ।

इसमें किन स्थानों के पत्थरो का उपयोग किया गया है - जोधपुर और करोली के पत्थरों का । राजस्थान के उस महाराजा का नाम बताओ जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी राजप्रमुख रहा - सवाई मानसिंह (1949-1956)।

जयपुर
जिले - जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनूं(5 जिले - Trick : जय दोसी अंझू की)

क्षेत्रफल - 36,615 वर्ग किमी.

सर्वाधिक जनसंख्या
सर्वाधिक घनत्व
सर्वाधिक अनुसूचति जाति प्रतिशत जनसंख्या
सर्वाधिक साक्षरता - 72.99
जोधपुर
जिले - जोधपुर , बाड़मेर, पाली, जालौर, सिरोही, जैसलमेर(6 जिले - Trick : जद बाप जासी जैसलमेर)

क्षेत्रफल - 1,17,800 वर्ग किमी.

सर्वाधिक क्षेत्रफल
सर्वाधिक दशकीय वृद्धि दर
सबसे कम साक्षरता - 59.57
सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा
अन्तर्राष्ट्रीय/अन्तर्राज्जीय सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा
अन्तर्राष्ट्रीय/अन्तर्राज्जीय सीमा से दुर सम्भागीय मुख्यालय
बीकानेर
जिले - बीकानेर, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़(4 जिले - Trick : बीका जी चंगा है)

क्षेत्रफल - 64,708 वर्ग किमी.

सर्वाधिक अनुसूचित जाति जनसंख्या
न्युनतम अन्तर्राष्ट्रीय सीमा
अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक संम्भागीय मुख्यालय
अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर क्षेत्रफल में छोटा संभाग
सबसे कम नदियों वाला संभाग(बीकानेर व चुरू जिले में कोई नदी नहीं बहती है)
अजमेर
जिले - अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, टोंक(4 जिले - Trick : अभी नाटो)

क्षेत्रफल - 43,848 वर्ग किमी.

राजस्थान का मध्यवर्ती संभाग
न्युनतम अन्तर्राज्जीय सीमा
सभी 6 संभागों की सीमा से लगने वाला संभाग
उदयपुर
जिले - उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़(6 जिले - Trick : उचित राजा का डुबा प्रताप)

क्षेत्रफल - 36, 942 वर्ग किमी.

सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति
सर्वाधिक लिंगानुपात
सर्वाधिक अन्तर्राज्जीय सीमा
दो बार अन्तर्राज्जीय सीमा बनाने वाला संभाग
कोटा
जिले - कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी(4 जिले - Trick : कोझा बाबू)

क्षेत्रफल - 24,204 वर्ग किमी.


न्यूनतम जनसंख्या
सर्वाधिक नदियों वाला संभाग(नदियों वाला जिला- चित्तौड़गढ़)
भरतपुर
जिले - भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, धाौलपुर(4 जिले - Trick : भर मां की धोक)

क्षेत्रफल - 18,122 वर्ग किमी.

4 जुन, 2005 को राजस्थान का 7 वां संभाग भरतपुर को बनाया गया।

भरतपुर संभाग दो संभागों से अलग होकर बना जो निम्न है।

जयपुर संभाग से भरतपुर व धौलपुर लिये गये तथा कोटा संभाग से सवाई माधोपुर व करौली लिये गये।

अन्तर्राज्जीय सीमा पर क्षेत्रफल में छोटा
अन्तर्राज्जीय सीमा के नजदीक संभागीय मुख्यालय
अन्तर्राष्ट्रीय सीमा
अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाले संभाग- बीकानेर व जोधपुर

सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग- जोधपुर

न्युनतम अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग-बीकानेर

अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक संम्भागीय मुख्यालय-बीकानेर

अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से दुर सम्भागीय मुख्यालय -जोधपुर

अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा संभाग- जोधपुर

अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर क्षेत्रफल में छोटा संभाग- बीकानेर

अन्तर्राज्जीय सीमा
अन्तर्राज्जीय सीमा बनाने वाले संभाग-सात

सर्वाधिक अन्तर्राज्जीय सीमा बनाने वाला सम्भाग- उदयपुर

न्युनतम अन्तर्राज्जीय सीमा सीमा बनाने वाला संभाग- अजमेर

अन्तर्राज्जीय सीमा के नजदीक संभागीय मुख्यालय- भरतपुर

अन्तर्राज्जीय सीमा से दुर संभागीय मुख्यालय- जोधपुर

अन्तर्राज्जीय सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा संभाग -जोधपुर

अन्तर्राज्जीय सीमा पर क्षेत्रफल में छोटा संभाग- भरतपुर

दो बार अन्तर्राज्जीय सीमा बनाने वाला संभाग- उदयपुर(चित्तौड़गढ़ के दो भाग)

राजस्थान का मध्यवर्ती संभाग- अजमेर

सभी 6 संभागों की सीमा से लगने वाला संभाग-अजमेर

सर्वाधिक नदियों वाला संभाग-कोटा(नदियांे वाला जिला- चित्तौड़गढ़)

सबसे कम नदियों संभाग- बीकानेर(बीकानेर व चुरू जिले में कोई नदी नहीं बहती है)

 

वर्तमान में राजस्थान में 6 जिलों वाले 2संभाग(जोधपुर व उदयपुर) है तथा 5 जिलों वाला संभाग एक जयपुर है।तथा 4 जिलों वाले संभाग(बीकानेर, कोटा, भरतपुर, अजमेर)4है।

4 जुन, 2005 से पुर्व 7 जिलों वाला संभाग- जयपुर, 6जिलों वाला संभाग- जोधपुर व कोटा,5 जिलों वाला संभाग उदयपुर, 4जिलों वाला संभाग 2(बीकानेर व अजमेर) थे।

महत्वपूर्ण प्रश्न
1. राजस्थान दिवस मनाया जाता है ? - 30 मार्च|

2.मतस्य संघ का प्रशासन राजस्थान को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया ? - सन 1949 में ( 15 मई 1949 को जब मत्स्य संघ का विलय संयक्त वृहत राजस्थान में किया गया |)

3.राजपूताना के भोगोलिक क्षेत्र को राजस्थान नाम दिया गया ? - 1 नवम्बर 1956

4.वृहत राजस्थान के प्रधान मंत्री थे ? - हीरालाल शास्त्री

5.कितनी रियासतों और ठिकानो के एकीकरण से राजस्थान क़ा निर्माण हुआ ? - 19 रियासते और 3 ठिकाने |

6.1527 इ में महाराणा सांगा व् बाबर के मध्य खानवा का यूद्ध किस जिले में हुआ ? - भरतपुर |

7.महाराणा प्रताप को किसने अपनी संपत्ति प्रदान की ? - भामाशाह |

8.दिबेर के यूद्ध (अक्टू- 1582) के पश्चात महाराणा प्रताप की राजधानी कहाँ थी? - चावंड|

9.मेवाड के इतिहास में किस सेविका ने राजकुमार को बचाने के लिए अपने बच्चे की कुरबानी दी ? - पन्नाधाय |

10.अजैयराज चोहान संस्थापक थे ? - अजमेर के |

11.महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक कहाँ हुआ ? - गोगुन्दा में |

12.आदिवराह की उपाधि किस राजपूत शाशक ने धारण की? - मिहिरभोज प्रथम (यह गुर्जर प्रतिहार वंश का था )|

13.यूद्ध भूमि में जाते समय अपने पति द्वारा निशानी मागने पर किस रानी ने अपना शीश काटकर भेंट कर दिया? - हाडी रानी |

14.राजपूतों के किस वंश ने जयपुर पर शाशन किया ? - कच्छवाहा |

15.ताम्र नगरी सभ्यता कहलाती थी ? - आह्ड की सभ्यता |

16.कालीबंगा कंहा स्थित है ? - हनुमान गढ़ |

17.मोर्य सभ्यता के प्रमाण किस स्थान पर मिले है? - विराटनगर जयपुर |

18.प्राक सिन्धु सभ्यता व् सिन्धु सभ्यता के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए है ? - कालीबंगा से

19.प्राचीन हड़प्पा स्तरों में एक ही खेत में साथ साथ दो फसलों को उगाने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है ? - कालीबंगा से |

20.राजस्थान में बोद्ध संस्कृति के अवशेष कहाँ मिलते है ? - विराटनगर जयपुर |

21.राजस्थान में बोद्ध धर्म के मठ कहाँ मिले है ? - विराट नगर जयपुर |

22.राजस्थान का अभिलेखागार कहाँ स्थित है ? - बीकानेर |

23.अनाल्स एंड एंटीक्विटिस ऑफ़ राजस्थान किसने लिखी थी ? - कर्नल जेम्स टोड ने |

24.जेम्स टोड कहाँ के पोलिटिकल एजेंट थे ? - पश्चिमी राजस्थान स्टेट का |

25.1567-1568 इ में चित्तोड़ के मुग़ल घेरे के दोरान दो राजपूत सामंतों ने दुर्ग की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए ? - जयमल, पत्ता |

26.हल्दी घांटी युद्ध में एक मात्र मुस्लिम सरदार जो महाराणा प्रताप के साथ था ? - हाकिम खां सूरी |

27.मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना किसने की - माणिक्य लाल वर्मा |

28.राजपूताना के किस राजघराने ने प्रजामंडल को संरक्षण दे रखा था - झालावाड |

29.राजस्थान के किस क्षेत्र ने कृषक आन्दोलन प्रारंभ करने में पहल की - मेवाड़ |

30.बिजोलिया किसान आन्दोलन के प्रणेता कोन थे - साधू सीताराम दास |

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह
राज्य वृक्ष - खेजड़ी
"रेगिस्तान का गौरव" अथवा "थार का कल्पवृक्ष" जिसका वैज्ञानिक नाम "प्रोसेसिप-सिनेरेरिया" है। इसको 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया।

खेजड़ी के वृक्ष सर्वाधिक शेखावटी क्षेत्र में देखे जा सकते है तथा नागौर जिले सर्वाधिक है। इस वृक्ष की पुजा विजयाशमी/दशहरे पर की जाती है। खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगाजी व झुंझार बाबा का मंदिर/थान बना होता है। खेजड़ी को पंजाबी व हरियाणावी में जांटी व तमिल भाषा में पेयमेय कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी, सिंधी भाषा में - धोकड़ा व बिश्नोई सम्प्रदाय के लोग 'शमी' के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में सीमलो कहते हैं।

खेजडी की हरी फली-सांगरी, सुखी फली- खोखा, व पत्तियों से बना चारा लुंग/लुम कहलाता है।

खेजड़ी के वृक्ष को सेलेस्ट्रेना(कीड़ा) व ग्लाइकोट्रमा(कवक) नामक दो किड़े नुकसान पहुँचाते है।

वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की कुल आयु 5000 वर्ष मानी है। राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वृक्ष मिले है।(मांगलियावास गाँव, अजमेर में)

पाण्डुओं ने अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी के वृक्ष पर छिपाये थे।खेजड़ी के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान अमृतादेवी के द्वारा सन 1730 में दिया गया।अमृता देवी द्वारा यह बलिदान भाद्रपद शुक्ल दशमी को जोधुपर के खेजड़ली गाँव 363 लोगों के साथ दिया गया।इस बलिदान के समय जोधपुर का शासक अभयसिंग था।अभयसिंग के आदेश पर गिरधरदास के द्वारा 363 लोगों की हत्या कर दी गई।अम ृता देवी रामो जी बिश्नोई की पत्नि थी। बिश्नोई सम्प्रदाय द्वारा दिया गया यह बलिदान साका/खडाना कहलाता है। 12 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष खेजड़ली दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर 1978 को मनाया गया था। वन्य जीव सरंक्षण के लिए दिया जाने वाला सर्वक्षेष्ठ पुरस्कार अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार है। इस पुरस्कार की शुरूआत 1994 में की गई। इस पुरस्कार के तहत संस्था को 50,000 रूपये व व्यक्ति को 25,000 रूपये दिये जाते है। प्रथम अमृता देवी वन्यजीव पुरस्कार पाली के गंगाराम बिश्नोई को दिया गया।

आॅपरेशन खेजड़ा की शुरूआत 1991 में हुई।

वैज्ञानिक नाम के जनक
वर्गीकरण के जन्मदाता: केरोलस लीनीयस थे।

उन्होने सभी जीवों व वनस्पतियों का दो भागो में विभाजन किया। मनुष्य/मानव का वैज्ञानिक नाम: "होमो-सेपियन्स" रखा होमो सेपियन्स या बुद्धिमान मानव का उदय 30-40 हजार वर्ष पूर्व हुआ।
ज्य पुष्प - रोहिडा का फुल
रोहिडा के फुल को 1983 में राज्य पुष्प घोषित किया गया। इसे "मरूशोभा" या "रेगिस्थान का सागवान" भी कहते है। इसका वैज्ञानिक नाम- "टिको-मेला अंडुलेटा" है।

रोहिड़ा सर्वाधिक राजस्थान के पष्चिमी क्षेत्र में देखा जा सकता है।रोहिडे़ के पुष्प मार्च-अप्रैल के महिने मे खिलते है।इन पुष्पों का रंग गहरा केसरिया-हीरमीच पीला होता है।

जोधपुर में रोहिड़े को मारवाड़ टीक के नाम से जाना जाता है।

राज्य पशु - चिंकारा, ऊँट
चिंकारा- चिंकारा को 1981 में राज्य पशु घोषित किया गया।यह "एन्टीलोप" प्रजाती का एक मुख्य जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम गजैला-गजैला है। चिंकारे को छोटा हरिण के उपनाम से भी जाना जाता है।चिकारों के लिए नाहरगढ़ अभ्यारण्य जयपुर प्रसिद्ध है।राजस्थान का राज्य पशु 'चिंकारा' सर्वाधिक 'मरू भाग' में पाया जाता है।

"चिकारा" नाम से राजस्थान में एक तत् वाद्य 


ऊँट- राजस्थान का राज्यपशु(2014 में घोषित)

ऊँट डोमेस्टिक एनिमल के रूप में संरक्षित श्रेणी में और चिंकारा नाॅन डोमेस्टिक एनिमल के रूप में संरक्षित श्रेणी में रखा जाएगा।

राज्य पक्षी - गोेडावण
1981 में इसे राज्य पक्षी के तौर पर घोषित किया गया। इसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी कहा जाता है। यह शर्मिला पक्षी है और इसे पाल-मोरडी व सौन-चिडिया भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम "क्रोरियोंटिस-नाइग्रीसेप्स" है।

गोडावण को सारंग, कुकना, तुकदर, बडा तिलोर के नाम से भी जाना जाता है। गोडावण को हाडौती क्षेत्र(सोरसेन) में माल गोरड़ी के नाम से जाना जाता है।

गोडावण पक्षी राजस्थान में 3 जिलों में सर्वाधिक देखा जा सकता है।

मरूउधान- जैसलमेर, बाड़मेर
सोरसन- बांरा
सोकंलिया- अजमेर
गोडावण के प्रजनन के लिए जोधपुर जंतुआलय प्रसिद्ध है।

गोडावण का प्रजनन काल अक्टूबर-नवम्बर का महिना माना जाता है।यह मुलतः अफ्रीका का पक्षी है।इसका ऊपरी भाग का रंग नीला होता है व इसकी ऊँचाई 4 फुट होती है।इनका प्रिय भोजन मूगंफली व तारामीरा है।गोडावण को राजस्थान के अलावा गुजरात में भी सर्वाधिक देखा जा सकता

राज्य गीत -"केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश।"
इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गया।इस गीत को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर की अल्ला जिल्ला बाई के द्वारा गाया गया। अल्ला जिल्ला बाई को राज्य की मरूकोकिला कहते है। इस गीत को मांड गायिकी में गाया जाता है।

राजस्थान का राज्य नृत्य - घुमर
धूमर (केवल महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य) इस राज्य नृत्यों का सिरमौर (मुकुट) राजस्थानी नृत्यों की आत्मा कहा जाता है।

राज्य शास्त्रीय नृत्य - कत्थक
कत्थक उत्तरी भारत का प्रमुख नृत्य है। इनका मुख्य घराना भारत में लखनऊ है तथा राजस्थान में जयपुर है।

कत्थक के जन्मदाता भानू जी महाराज को माना जाता है।

राजस्थान का राज्य खेल - बास्केटबाॅल
बास्केटबाॅंल को राज्य खेल का दर्जा 1948 में दिया गया।

शुभंकर
हर जिले को अब किसी किसी वन्यजीव (पशु या पक्षी) के नाम से जाना जाएगा। हर जिले की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने जिला स्तरीय वन्यजीव को बचाने और संरक्षित करने की दिशा में काम करें। सरकारी कागजों पर भी उस वन्यजीव को लोगो के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उस वन्यजीव का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार हो सकें।

जिलेवार शुभंकर
राजस्थान के जिलेवार शुभंकर
अजमेर जिले का खरमोर, अलवर का सांभर, बांसवाडा का जल पीपी, बारां का मगर, बाडमेर का लौंकी/ मरू लोमड़ी, भीलवाडा का मोर, बीकानेर का भट्ट तीतर, बूंदी का सुर्खाब, चित्तौडग़ढ़ का घौसिंगा, चूरू का कृष्ण मृग, दौसा का खरगोश, धौलपुर का पचीरा (इण्डियन स्क्रीमर), डूंगरपुर का जांघिल, हनुमानगढ़ का छोटा किलकिला, जैसलमेर का गोडावण, जालोर का भालू, झालावाड़ का गागरोनी तोता, झुंझुनंू का काला तीतर, जोधपुर का कुरंजा, करौली का घडिय़ाल, कोटा का उदबिलाव, नागौर का राजहंस, पाली का तेन्दुआ, प्रतापगढ़ का उडऩ गिलहरी, राजसमंद का भेडिय़ा, सवाईमाधोपुर का बाघ, श्रीगंगानगर का चिंकारा, सीकर का शाहीन, सिरोही का जंगली मुर्गी, टोंक का हंस तथा उदयपुर जिले का शुभंकर कब्र बिज्जू को घोषित किया है। जयपुर में चीतल को व भरतपुर में सारस को जिले का शुभंकर घोषित किया है।


महत्वपूर्ण प्रश्न
1. राजस्थान का राज्य वृक्ष कोनसा है ? - खेजड़ी

2. राजस्थान का राज्य पक्षी कोसा है ? - गोडावण

3.राजस्थान का राज्य पशु कोनसा है ? -चिंकारा

4.राजस्थान का राज्य खेल कोनसा है ? - बास्केटबाल

5.रेगिस्तान का कल्प वृक्ष कोनसा है ? - खेजड़ी

6.राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाने वाला पशु कोनसा है ? - बकरियां

7.राजस्थान सर्वाधिक पशु घनत्व वाला जिला कोनसा है ? - डूंगरपुर


 
8.राजस्थान न्यूनतम पशु घनत्व वाला जिला कोनसा है ? - जैसलमेर

9.राजस्थान में सर्वाधिक मुर्गियां कहाँ पाई है ? - अजमेर

10.राजस्थान में न्यूनतम मुर्गियां कहाँ पाई है ? - बाड़मेर

11.राजस्थान की कामधेनु किसे कहा जाता है ? - राठी गाय

12.भारत की मेरिनो किसे कहा जाता है ? - चोकला भेड़

13.राजस्थान में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाला जिला कोनसा है ? -जयपुर

14.राजस्थान में न्यूनतम दुग्ध उत्पादन वाला जिला कोनसा है ? - बांसवाडा

15.राजस्थान में सर्वाधिक उन उत्पादन वाला जिला कोनसा है ? - जोधपुर

16.राजस्थान में न्यूनतम उन उत्पादन वाला जिला कोनसा है ? - झालावाड

17.एशिया में उन की सबसे बड़ी मंदी कहाँ स्थित है ? - बीकानेर

18.राजस्थान का एकमात्र दुग्ध विज्ञानं तकनीकी महा विद्यालय कहाँ स्थित है ? - उदयपुर

19.राज्य का एकमात्र पक्षी चिकित्सालय कहाँ स्थित है ? - जयपुर

20.राजस्थान की सर्वाधिक क्षेत्र में बोई जाने वाली फसल कोनसी है ? - बाजरा

21.राजस्थान का सर्वाधिक बंजर और व्यर्थ भूमि वाला जिला कोनसा है ? - जैसलमेर

22.राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई किस माध्यम से होती है ? - कुओं और नलकूपों से

23.कुओं और नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई वाला जिला कोनसा है ? - जयपुर

24.नहरों से सर्वाधिक सिंचाई वाला जिला कोनसा है ? - गंगा नगर

25.तालाबों से सर्वाधिक सिंचाई वाला जिला कोनसा है ? - भीलवाडा

राजस्थान की जलवायु
राजस्थान की जलवायु शुष्क से उपआर्द्र मानसूनी जलवायु है अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, उच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर निम्न आर्द्रता तथा तीव्रहवाओं युक्त जलवायु है। दुसरी और अरावली के पुर्व में अर्द्रशुष्क एवं उपआर्द्र जलवायु है।

जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक - अक्षांशीय स्थिती, समुद्रतल से दुरी, समुद्र तल से ऊंचाई, अरावली पर्वत श्रेणियों कि स्थिति एवं दिशा आदि।

राजस्थान की जलवायु कि प्रमुख विशेषताएं -
शुष्क एवं आर्द्र जलवायु कि प्रधानता
अपर्याप्त एंव अनिश्चित वर्षा
वर्षा का अनायस वितरण
अधिकांश वर्षा जुन से सितम्बर तक

वर्षा की परिर्वतनशीलता एवं न्यूनता के कारण सुखा एवं अकाल कि स्थिती अधिक होना।
राजस्थान कर्क रेखा के उत्तर दिशा में स्थित है। अतः राज्य उपोष्ण कटिबंध में स्थित है। केवल डुंगरपुर और बांसवाड़ा जिले का कुछ हिस्सा उष्ण कटिबंध में स्थित है।

अरावली पर्वत श्रेणीयों ने जलवायु कि दृष्टि से राजस्थान को दो भागों में विभक्त कर दिया है। अरावली पर्वत श्रेणीयां मानसुनी हवाओं के चलने कि दिशाओं के अनुरूप होने के कारण मार्ग में बाधक नहीं बन पाती अतः मानसुनी पवनें सीधी निकल जाति है और वर्षा नहीं करा पाती। इस प्रकार पश्चिमी क्षेत्र अरावली का दृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण अल्प वर्षा प्राप्त करताह है।

जब कर्क रेखा पर सुर्य सीधा चमकता है तो इसकी किरणें बांसवाड़ा पर सीधी व गंगानगर जिले पर तिरछी पड़ती है। राजस्थान का औसतन वार्षिक तापमान 37 डिग्री से 38 डिग्री सेंटीग्रेड है।

राजस्थान को जलवायु की दृष्टि से पांच भागों में बांटा है।
शुष्क जलवायु प्रदेश(0-20 सेमी.)
अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश(20-40 सेमी.)
उपआर्द्र जलवायु प्रदेश(40-60 सेमी.)
आर्द्र जलवायु प्रदेश(60-80 सेमी.)
अति आर्द्र जलवायु प्रदेश(80-100 सेमी.)
राजस्थान की जलवायु 
1. शुष्क प्रदेश
क्षेत्र - जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर, दक्षिणी गंगानगर तथा बीकानेर व जोधपुर का पश्चिमी भाग। औसत वर्षा - 0-20 सेमी.।

2. अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश
क्षेत्र - चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, द. बाड़मेर, जोधपुर व बीकानेर का पूर्वी भाग तथा पाली, जालौर, सीकर,नागौर व झुझुनू का पश्चिमी भाग।

औसत वर्षा - 20-40 सेमी.।

3. उपआर्द्ध जलवायु प्रदेश
क्षेत्र - अलवर, जयपुर, अजमेर, पाली, जालौर, नागौर व झुझुनू का पूर्वी भाग तथा टोंक, भीलवाड़ा व सिरोही का उत्तरी-पश्चिमी भाग।

औसत वर्षा - 40-60 सेमी.।

4. आर्द्र जलवायु प्रदेश
क्षेत्र - भरतपुर, धौलपुर, कोटा, बुंदी, सवाईमाधोपुर, उ.पू. उदयपुर, द.पू. टोंक तथा चित्तौड़गढ़।

औसत वर्षा - 60-80 सेमी.।

5. अति आर्द्र जलवायु प्रदेश
क्षेत्र - द.पू. कोटा, बारां, झालावाड़, बांसवाडा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, द.पू. उदयपुर तथा माउण्ट आबू क्षेत्र।

औसत वर्षा - 60-80 सेमी.।

तथ्य
राजस्थान के सबसे गर्म महिने मई - जुन है तथा ठण्डे महिने दिसम्बर - जनवरी है।

राजस्थान का सबसे गर्म व ठण्डा जिला - चुरू

राजस्थान का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर पश्चिमी क्षेत्र में रहता है।

राजस्थान का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर वाला जिला -जैसलमेर


 
राजस्थान में वर्षा का औसत 57 सेमी. है जिसका वितरण 10 से 100 सेमी. के बीच होता है। वर्षा का असमान वितरण अपर्याप्त और अनिश्चित मात्रा हि राजस्थान में हर वर्ष सुखे व अकाल का कारण बनती है।


 
राजस्थान में वर्षा की मात्रा दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर घटती है। अरब सागरीय मानसुन हवाओं से राज्य के दक्षिण व दक्षिण पूर्वी जिलों में पर्याप्त वर्षा हो जाती है।

राज्य में होने वाली वर्षा की कुल मात्रा का 34 प्रतिशत जुलाई माह में, 33 प्रतिशत अगस्त माह में होती है।

जिला स्तर पर सर्वाधिक वर्षा - झालावाड़(100 सेमी.)

जिला स्तर पर न्यूनतम वर्षा - जैसलमेर(10 सेमी.)

राजस्थान में वर्षा होने वाले दिनों की औसत संख्या 29 है।

वर्षा के दिनों की सर्वाधिक संख्या - झालावाड़(40 दिन), बांसवाड़ा(38 दिन)

वर्षा के दिनों की न्यूनतम संख्या - जैसलमेेर(5 दिन)

राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान - माउण्ट आबु(120-140 सेमी.) है यहीं पर वर्षा के सर्वाधिक दिन(48 दिन) मिलते हैं।

वर्षा के दिनों की संख्या उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर बढ़ती है।

राजस्थान में सबसे कम आर्द्रता - अप्रैल माह में

राजस्थान मे सबसे अधिक आर्द्रता - अगस्त माह में

राजस्थान में सबसे सम तापमान - अक्टुबर माह में रहता है।

सबसे कम वर्षा वाला स्थान - सम(जैसलमेर) 5 सेमी.

राजस्थान को 50 सेमी. रेखा दो भागों में बांटती है। 50 सेमी. वर्षा रेखा की उत्तर-पश्चिम में कम होती है। जबकि दक्षिण पूर्व में वर्षा अधिक होती है।

यह 50 सेमी. मानक रेखा अरावली पर्वत माला को माना जाता है।

राजस्थान में सर्वाधिक आर्द्रता वाला जिला झालावाड़ तथा न्यूनतम जिला जैसलमेर है। राजस्थान में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान माउण्ट आबू तथा कम आर्द्रता फलौदी(जोधपुर) है।

राजस्थान में सर्वाधिक ओलावृष्टि वाला महिना मार्च-अप्रैल है तथा सर्वाधिक ओलावृष्टि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में होती है तथा सर्वाधिक ओलावृष्टि वाला जिला जयपुर है।

राजस्थान में हवाऐं पाय पश्चिम व दक्षिण पश्चिम की ओर चलती है।

हवाओं की सर्वाधिक गति - जून माह

हवाओं की मंद गति - नवम्बर माह

ग्रीष्म ऋतु में पश्चिम क्षेत्र क्षेत्र का वायुदाब पूर्वी क्षेत्र से कम होता है।

ग्रीष्म ऋतु में पश्चिम की तरफ से गर्म हवाऐं चलती है जिन्हें लू कहते है। इस लू के कारण यहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न वायुदाब की पूर्ती हेतु दुसरे क्षेत्र से (उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों से) तेजी से हवा उठकर आती है जो अपने साथ धुल व मिट्टी उठाकर ले आती है इसे ही आंधी कहते हैं।

आंधियों की सर्वाधिक संख्या - श्रीगंगानगर(27 दिन)

आंधियों की न्यूनतम संख्या - झालावाड़ (3 दिन)

राजस्थान के उत्तरी भागों में धुल भरी आधियां जुन माह में और दक्षिणी भागों में मई माह में आति है।

राजस्थान में पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में तुफान(आंधी + वर्षा) अधिक आते है।

 
आर्द्रता
वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते है। आपेक्षिक आर्द्रता मार्च-अप्रैल में सबसे कम व जुलाई-अगस्त में सर्वाधिक होती है।

लू
मरूस्थलीय भाग में चलने वाली शुष्क व अति गर्म हवाएं लू कहलाती है।

समुद्र तल से ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान घटता है। इसके घटने की यह सामान्य दर 165 मी. की ऊंचाई पर 1 डिग्री से.ग्रे. है।

राजस्थान के उत्तरी-पश्चिमी भाग से दक्षिणी-पुर्वी की ओर तापमान में कमी दृष्टि गोचर होती है।

डा.ब्लादीमीर कोपेन, ट्रिवार्था, थार्नेवेट के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार राजस्थान को 4 जलवायु प्रदेशों में बांटा गया।

Aw उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश
BShw अर्द्ध शुष्क कटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश
BWhw उष्ण कटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश
Cwgउप आर्द्र जलवायु प्रदेश

राजस्थान को कृषि की दृष्टि से निम्न लिखित दस जलवायु प्रदेशों में बांटा गया है।
शुष्क पश्चिमी मैदानी
सिंचित उत्तरी पश्चिमी मैदानी
शुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी
अंन्त प्रवाही
लुनी बेसिन
पूर्वी मैदानी(भरतपुर, धौलपुर, करौली जिले)
अर्द्र शुष्क जलवायु प्रदेश
उप आर्द्र जलवायु प्रदेश
आर्द्र जलवायु प्रदेश
अति आर्द्र जलवायु प्रदेश
कृषि जलवायु प्रदेश

राजस्थान में जलवायु का अध्ययन करने पर तीन प्रकार की ऋतुएं पाई जाती हैः-

ग्रीष्म ऋतु: (मार्च से मध्य जून तक)
वर्षा ऋतु : (मध्य जून से सितम्बर तक)
शीत ऋतु : (नवम्बर से फरवरी तक)
ग्रीष्म ऋतु
राजस्थान में मार्च से मध्य जून तक ग्रीष्म ऋतु होती है। इसमें मई व जून के महीने में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है। अधिक गर्मी के वायु मे नमी समाप्त हो जाती है। परिणाम स्वरूप वायु हल्की होकर उपर चली जाती है। अतः राजस्थान में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है परिणामस्वरूप उच्च वायुदाब से वायु निम्न वायुदाब की और तेजगति से आती है इससे गर्मियों में आंधियों का प्रवाह बना रहता है।

वर्षा ऋतु
राजस्थान में मध्य जून से सितम्बर तक वर्षा ऋतु होती है।

राजस्थान में 3 प्रकार के मानसूनों से वर्षा होती है।

1. बंगाल की खाड़ी का मानसून
यह मानसून राजस्थान में पूर्वी दिशा से प्रवेश करता है। पूर्वी दिशा से प्रवेश करने के कारण मानसूनी हवाओं को पूरवइयां के नाम से जाना जाता है यह मानसून राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा करवाता है इस मानसून से राजस्थान के उत्तरी, उत्तरी-पूर्वी, दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्रों में वर्षा होती है।

2. अरब सागर का मानसून
यह मानसून राजस्थान के दक्षिणी-पश्चिमी दिशा से प्रवेश करता है यह मानसून राजस्थान में अधिक वर्षा नहीं कर पाता क्योंकि यह अरावली पर्वतमाला के समान्तर निकल जाता है। राजस्थान में अरावली पर्वतमाला का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व कि ओर है यदि राज्य में अरावली का विस्तार उत्तरी-पश्चिमी से दक्षिणी-पूर्व कि ओर होता तो राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्र में वर्षा होती।

राजस्थान में सर्वप्रथम अरबसागर का मानसून प्रवेश करता है

3. भूमध्यसागरीय मानसून
यह मानसून राजस्थान में पश्चिमी दिशा से प्रवेश करता है। पश्चिमी दिशा से प्रवेश करने के कारण इस मानसून को पश्चिमी विक्षोभों का मानसून के उपनाम से जाना जाता है। इस मानसून से राजस्थान में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में वर्षा होती है। यह मानसून मुख्यतः सर्दीयों में वर्षा करता है सर्दियों में होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा में मावठ कहते हैं यह वर्षा गेहुं की फसल के लिए सर्वाधिक लाभदायक होती है। इन वर्षा कि बूदों को गोल्डन ड्रोप्स या सोने कि बुंद के उप नाम से जाना जाता है।

शीत ऋतु
राजस्थान में नम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है। इन चार महीनों में जनवरी माह में सर्वाधिक सर्दी पड़ती है।शीत ऋतु में भूमध्यसागर में उठने वाले चक्रवातों के कारण राजस्थान के उतरी पश्चिमी भाग में वर्षा होती है। जिसे "मावट/मावठ" कहा जाता है। यह वर्षा माघ महीने में होती है। शीतकालीन वर्षा मावट को - गोल्डन ड्रोप (अमृत बूदे) भी कहा जाता है। यह रवि की फसल के लिए लाभदायक है।

राज्य में हवाएं प्राय पश्चिम और उतर-पश्चिम की ओर चलती है।

वर्षा
राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं से होती है तथा दुसरा स्थान बंगाल की खाड़ी का मानसून, तीसरा स्थान अरबसागर के मानसून, अन्तिम स्थान भूमध्यसागर के मानसून का है।

आंधियों के नाम
उत्तर की ओर से आने वाली - उत्तरा, उत्तराद, धरोड, धराऊ

दक्षिण की ओर से आने वाली - लकाऊ

पूर्व की ओर से आने वाली - पूरवईयां, पूरवाई, पूरवा, आगुणी

पश्चिम की ओर से आने वाली - पिछवाई, पच्छऊ, पिछवा, आथूणी।

अन्य
उत्तर-पूर्व के मध्य से - संजेरी

पूर्व-दक्षिण के मध्य से - चीर/चील

दक्षिण-पश्चिम के मध्य से - समंदरी/समुन्द्री

उत्तर-पश्चिम के मध्य से - सूर्या

दैनिक गति/घुर्णन गति
पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1/2 डिग्री झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी./घण्टा की चाल से 23 घण्टे 56 मिनट और 4 सेकण्ड में एक चक्र पुरा करती है। इस गति को घुर्णन गति या दैनिक गति कहते हैं इसी के कारण दिन रात होते हैं।

वार्षिक गति/परिक्रमण गति
पृथ्वी को सूर्य कि परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट 46 सैकण्ड लगते हैं इसे पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण गति कहते हैं। इसमें लगने वाले समय को सौर वर्ष कहा जाता है। पृथ्वी पर ऋतु परिर्वतन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण पृथ्वी पर दिन रात छोटे बड़े होते हैं।

पृथ्वी के परिक्रमण काल में 21 मार्च एवम् 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं फलस्वरूप सम्पूर्ण पृथ्वी पर रात-दिन की अवधि बराबर होती है।

घुर्णन गति&परिक्रमण गति
विषुव
जब सुर्य की किरणें भुमध्य रेखा प सीधी पड़ती है तो इस स्थिति को विषुव कहा जाता है। वर्ष में दो विषुव होते हैं।

21 मार्च को बसन्त विषुव तथा 23 सितम्बर को शरद विषुव होते हैं

आयन
23 1/20 उत्तरी अक्षांश से 23 1/20 दक्षिणी अक्षांश के मध्य का भु-भाग जहां वर्ष में कभी न कभी सुर्य की किरणें सीधी चमकती है आयन कहलाता है यह दो होते हैं।

उत्तरी आयन(उत्तरायण) - 0 अक्षांश से 23 1/20 उत्तरी अक्षांश के मध्य।

दक्षीण आयन(दक्षिणायन) - 0 अक्षांश से 23 1/20 दक्षिणी अक्षांश के मध्य।

आयनान्त
जहां आयन का अन्त होता है। यह दो होते हैं

उत्तरीआयन का अन्त(उत्तरयणान्त) - 23 1/20 उत्तरी अक्षांश/कर्क रेखा पर 21 जुन को उत्तरी आयन का अन्त होता है।

दक्षिणी आयन का अन्त - 23 1/20 दक्षिणी अक्षांश/मकर रेखा पर 22 दिसम्बर को दक्षिणाअन्त होता है।

पृथ्वी के परिक्रमण काल में 21 जून को कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् रहती है फलस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े व रातें छोटी एवम् ग्रीष्म ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में सुर्य की किरणें तीरछी पड़ने के कारण दिन छोटे रातें बड़ी व शरद ऋतु होती है।

तथ्य
उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे बड़ा दिन - 21 जुन

दक्षिणी गोलार्द्ध की सबसे बड़ी रात - 21 जुन

उत्तरी गोलार्द्ध की सबसे छोटी रात - 21 जुन

दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे छोटा दिन - 21 जुन

पृथ्वी के परिक्रमण काल में 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर सुर्य की किरणें लम्बवत् रहती है फलस्वरूप दक्षिण गोलार्द्ध में दिन बड़े, रातें छोटी एवम् ग्रीष्म ऋतु होती है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में सुर्य कि किरणें तीरछी पड़ने के कारण दिन छोटे, रातें बड़ी व शरद ऋतु होती है।

तथ्य
दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे बड़ा दिन - 22 दिसम्बर

उत्तरी गोलार्द्ध की सबसे बड़ी रात - 22 दिसम्बर

दक्षिणी गोलार्द्ध की सबसे छोटी रात - 22 दिसम्बर

उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे छोटा दिन - 22 दिसम्बर

कटिबन्ध
कोई भी दो अक्षांश के मध्य का भु-भाग कटिबंध कहलाता है।

गोर
कोई भी दो देशान्तर के मध्य का भु-भाग गोर कहलाता है।

भारत दो कटिबन्धों में स्थित है।

उष्ण कटिबंध और शीतोष्ण कटिबंध

राजस्थान उष्ण कटिबंध के निकट वास्तव में उपोष्ण कटिबंध में स्थित है।

मानसून
मानसून शब्द की उत्पति अरबी भाषा के मौसिन शब्द से हुई है। जिसका शाब्दिक अर्थ ऋतु विशेष में हवाओं की दिशाएं होता है।

गीष्मकालीन/दक्षिणी पश्चिमी मानसून
गर्मियों में जब उत्तरी गोलार्द्ध में सूय्र की किरणें सीधी पड़ती है। तो यहां निम्न वायुदाब क्षेत्र बनता है। जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में सुर्य की किरणें तीरछी पड़ने के कारण शीत ऋतु होती है और वायुदाब उच्च रहता है। इसलिए हवाऐं दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर चलती है।

भारत की स्थिति प्रायद्वीपीय होने के कारण दक्षिण पश्चिम से आने वाली यह मानसूनी पवनें दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है।

1. अरब सागरीय शाखा 2. बंगाल की खाड़ी शाखा

भारत में सर्वप्रथम मानसून की अरब सागरीय शाखा सक्रिय होती है। औसतन 1 जुन को मालाबार तट केरल पर ग्रीष्म कालीन मानसून की अरब सागरीय शाखा सक्रिय होती है।

नोट
भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून सर्वप्रथम अण्डमान निकोबार द्वीपसमुह(ग्रेट निकोबार, इंदिरा प्वांइट) पर सक्रिय होता है।

राजस्थान में सर्वप्रथम ग्रीष्मकालीन मानसून की अरब सागरीय शाखा ही सक्रिय होती है।

भारत एवम् राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा ग्रीष्मकालीन मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा से होती है।

शीतकालीन मानसून से कोरोमण्डल तट तमिलनाडू में हि वर्षा होती है। शीतकालीन मानसून से सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला देश - चीन।

तथ्य
विश्व का सबसे गर्म स्थान - अल-अजीजिया(लिबिया) सहारा मरूस्थल

भारत का सबसे गर्म राज्य - राजस्थान

भारत का सबसे गर्म स्थान - फलौदी(जोधपुर)

राजस्थान का सबसे गर्म जिला - चुरू

राजस्थान का सबसे गर्म स्थान - फलौदी(जोधपुर)

विश्व का सबसे ठण्डा स्थान - बखोयांस(रूस)

भारत का सबसे ठण्डा राज्य - जम्मू-कश्मीर

भारता का सबसे ठण्डा स्थान - लोह(-46)

राजस्थान का सबसे ठण्डा जिला - चुरू

राजस्थान का सबसे ठण्डा स्थान - माउण्ट आबू(सिरोही)

विश्व का सबसे आर्द्र स्थान - मौसिनराम(मेघालय) भारत

भारत का सबसे आर्द्र राज्य - केरल

भारत का सबसे आर्द्र स्थान - मौसिनराम(मेघालय)

राजस्थान का सबसे आर्द्र जिला - झालावाड़

राजस्थान का सबसे आर्द्र स्थान - माउण्ट आबु

विश्व का सबसे वर्षा वाला स्थान - मोसिनराम(मेघालय)

भारत का सबसे वर्षा वाला स्थान - मोसिनराम(मेघालय)

भारत का सबसे वर्षा वाला राज्य - केरल

राजस्थान का सबसे वर्षा वाल स्थान - माउण्ट आबू

राजस्थान का सबसे वर्षा वाला जिला - झालावाड़

विश्व का सबसे शुष्क स्थान - वखौयांस

भारत का सबसे शुष्क राज्य - राजस्थान

भारत का सबसे शुष्क स्थान - लेह(जम्मु-कश्मीर)

राजस्थान का सबसे शुष्क जिला - जैसलमेर

राजस्थान का सबसे शुष्क स्थान - सम(जैसलमेर) और फलौद(जोधपुर)

विश्व में सबसे कम वर्षा वाला स्थान - बखौयांस

भारत में सबसे कम वर्षा वाला राज्य - पंजाब

भारत में सबसे कम वर्षा वाला स्थान - लेह

राजस्थान में सबसे कम वर्षा वाला जिला - जैसलमेर

राजस्थान में सबसे कम वर्षा वाला स्थान - सम(जैसलमेर)

भारत का सर्वाधिक तापान्तर वाला राज्य - राजस्थान

राजस्थान का सर्वाधिक तापान्तर वाला जिला(वार्षिक) - चुरू

राजस्थान का सर्वाधिक तापान्तर वाला जिला(दैनिक) - जैसलमेर

राजस्थान का वनस्पति रहित क्षेत्र - सम(जैसलमेर)

साइबेरिया ठण्डी हवा एवं हिमालय हिमपात के कारण राजस्थान में जो शीत लहर चलती है वह कहलाती है - जाड़ा

गर्मीयों में थार के मरूस्थल में चलने वाली गर्म पवनें - लू

राजस्थान में सर्वाधिक धुल भरी आधियां चलती है - गंगानर में

राजस्थान में पाला - दक्षिणी तथा दक्षिणी पूर्वी भागों में अधिक ठण्ड के कारण पाला पड़ता है।

दक्षिण राजस्थान में तेज हवाओं के साथ जो मुसलाधार वर्षा होती है - चक्रवाती वर्षा

राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार - झालावाड़ और बांसवाड़ा

राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा की विषमता वाला जिला - बाड़मेर और जैसलमेर

राजस्थान में वर्षा की सबसे कम विषमता वाला जिला -बांसवाड़ा

21 जून को राजस्थान के किस जिले में सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है

22 दिसम्बर को राजस्थान के किस जिले को सुर्य की किरणें तीरछी पड़ती है - श्री गंगानगर

राजस्थान की जलवायु है - उपोष्ण कटिबंधीय

मावठ
सर्दीयों में पश्चिमी विक्षोभ/भुमध्य सागरिय विक्षोप के कारण भारत में उतरी मैदानी क्षेत्र में जो वर्षा होती है उसे मावठ कहते हैं।

मावठ का प्रमुख कारण - जेटस्ट्रीम

जेटस्ट्रीम - सम्पूर्ण पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व कि ओर क्षोभमण्डल में चलने वाली पवनें।

मावठ रबी की फसल के लिए अत्यन्त उपयोगी होती है। इसलिए इसे गोल्डन ड्राप्स या स्वर्णीम बुंदें कहा जाता है।

महत्वपुर्ण तथ्य
नाॅर्वेस्टर - छोटा नागपुर का पठार पर ग्रीष्म काल में चलने वाली पवनें नाॅर्वेस्टर कहलाती है। यह बिहार एवं झारखण्ड राज्य को प्रभावित करती है।

जब नाॅर्वेस्टर पवनें पूर्व की ओर आगे बढ़ कर पश्चिम बंगाल राज्य में पहुंचती है तो इन्हें काल वैशाली कहा जाता है। तथा जब यही पवनें पूर्व की ओर आगे पहुंच कर असम राज्य में पहुंचती है तो यहां 50 सेमी. वर्षा होती है। यह वर्षा चाय की खेती के लिए अत्यंत उपयोगी होती है इसलिए इसे चाय वर्षा या टी. शावर कहा जाता है।

मैंगो शावर - तमिलनाडू, केरल एवम् आन्ध्रप्रदेश राज्यों में मानसुन पूर्व जो वर्षा होती है जिससे यहां की आम की फसलें पकती है वह वर्षा मैंगो शाॅवर कहलाती है।

चैरी ब्लाॅस्म - कर्नाटक राज्य में मानसून पूर्व जो वर्षा होती है जो कि यहां की कहवा की फसल के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है चैरी ब्लाॅस्म या फुलों की बौछार कहलाती है।

मानसून की विभंगता - मानसून के द्वारा किसी एक स्थान पर वर्षा हो जाने तथा उसी स्थान पर होने वाली अगली वर्षा के मध्य का समय अनिश्चित होता है उसे ही मानसून की विभंगता कहा जाता है।

मानसून का फटना - दक्षिण भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान केरल के मालाबार तट पर तेज हवाओं एवम् बिजली की चमक के साथ बादल की तेज गर्जना के साथ जो मानसून की प्रथम मुसलाधार वर्षा होती है उसे मानसून का फटना कहा जाता है।

वृष्टि प्रदेश एवं वृष्टि छाया प्रदेशवृष्टि प्रदेश एवं वृष्टि छाया प्रदेश

अल-नीनो - यह एक मर्ग जल धारा है जो कि दक्षिण अमेरिका महाद्विप के पश्चिम में प्रशान्त महासागर में ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान सक्रिय होती है इससे भारतीय मानसून कमजोर पड़ जाता है। और भारत एवम् पड़ौसी देशों में अल्पवृष्टि एवम् सुखा की स्थिति पैदा हो जाती है।

ला-नीनो - यह एक ठण्डी जल धारा है जो कि आस्टेªलिया यह महाद्वीप के उत्तर-पूर्व में अल-नीनों के विपरित उत्पन्न होती है इससे भारतीय मानसून की शक्ति बढ़ जाती है और भारत तथा पड़ौसी देशों में अतिवृष्टि की स्थिति पैदा हो जाती है।

उपसौर और अपसौर
उपसौर - सुर्य और पृथ्वी की बीच न्युन्तम दुरी(1470 लाख किमी.) की घटना 3 जनवरी को होती है उसे उपसौर कहते हैं।

उपसौर और अपसौर
अपसौर - सुर्य और पृथ्वी के बीच की अधिकतम दुरी(1510 लाख किमी.) की घटना जो 4 जुलाई को होती है उसे अपसौर कहते हैं।

राजस्थान के भौतिक विभाग
पृथ्वी अपने निर्माण के प्रराम्भिक काल में एक विशाल भू-खण्ड पैंजिया तथा एक विशाल महासागर पैंथालासा के रूप में विभक्त था कलांन्तर में पैंजिया के दो टुकडे़ हुए उत्तरी भाग अंगारालैण्ड तथा दक्षिणी भाग गोडवानालैण्ड के नाम जाना जाने लगा। तथा इन दोनों भू-खण्डों के मध्य का सागरीय क्षेत्र टेथिस सागर कहलाता है। राजस्थान का पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र तथा उसमें स्थित खारे पानी की झीलें टेथिस सागर का अवशेष है। जबकि राजस्थान का मध्य पर्वतीय प्रदेश तथा दक्षिणी पठारी क्षेत्र गोडवानालैण्ड का अवशेष है।

राजस्थान को समान्यतः चार भौतिक विभागो में बांटा जाता हैः-

पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश
अरावली पर्वतीय प्रदेश
पूर्वी मैदानी प्रदेश
दक्षिणी पूर्वी पठारी भाग

1. पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश
राजस्थान का अरावली श्रेणीयों के पश्चिम का क्षेत्र शुष्क एवं अर्द्धशुष्क मरूस्थली प्रदेश है। यह एक विशिष्ठ भौगोलिक प्रदेश है। जिसे भारत का विशाल मरूस्थल अथवा थार का मरूस्थल के नाम से जाना जाता है। थार का मरूस्थल विश्व का सर्वाधिक आबाद तथा वन वनस्पति वाला मरूस्थल है। ईश्वरी सिंह ने थार के मरूस्थल को रूक्ष क्षेत्र कहा है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 61 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। प्राचिन काल में इस क्षेत्र से होकर सरस्वती नदि बहती थी। सरस्वती नदी के प्रवाह क्षेत्र के जैसलमेर जिले के चांदन गांव में चांदन नलकुप की स्थापना कि गई है। जिसे थार का घडा कहा जाता है।

इसका विस्तार बाड़मेर, जैसलमेर, बिकानेर, जोधपुर, पाली, जालोर, नागौर,सीकर, चुरू झूझूनु, हनुमानगढ़ व गंगानगर 12 जिलों में है।संपुर्ण पश्चिमी मरूस्थलिय क्षेत्र समान उच्चावच नहीं रखता अपीतु इसमें भिन्नता है। इसी भिन्नता के कारण इसको 4 उपप्रदेशों में विभक्त किया जाता है-

शुष्क रेतिला अथवा मरूस्थलि प्रदेश
लूनी- जवाई बेसीन
शेखावाटी प्रदेश
घग्घर का मैदान
1 शुष्क रेतीला अथवा मरूस्थलि प्रदेश
यह वार्षिक वर्षा का औसत 25 सेमी. से कम है। इसमें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर एवं जोधपुर और चुरू जिलों के पश्चिमी भाग सम्मलित है। इन प्रदेश में सर्वत्र बालुका - स्तुपों का
पश्चिमी रेगीस्तान क्षेत्र के जैसलमेर जिले में सेवण घास के मैदान पाए जाते है। जो कि भूगर्भिय जल पट्टी के रूप में प्रसिद्ध है। जिसे लाठी सीरिज कहलाते है।

पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र के जैसलमेर जिले में लगभग 18 करोड़ वर्ष पुराने वृक्षों के अवशेष एवं जीवाश्म मिले है। जिन्हें "अकाल वुड फाॅसिल्स पार्क" नाम दिया है। पश्चिमी रेगिस्तान क्षेत्र के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर जिलों में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैसों के भंडार मिले है।

2 लुनी - जवाई बेसीन
यह एक अर्द्धशुष्क प्रदेश है। जिसमें लुनी व इसकी प्रमुख नदी जवाई एवं अन्य सहायक नदियां प्रवाहित होती है। इसका विस्तार पालि, जालौर, जौधपुर व नागौर जिले के दक्षिणी भाग में है। यह एक नदि निर्मीत मैदान है। जिसे लुनी बेसिन के नाम से जाना जाता है।

3 शेखावाटी प्रदेश
इसे बांगर प्रदेश के नाम से जाना जाता है। शेखावटी प्रदेश का विस्तार झुझुनू, सीकर, चुरू तथा नागौर जिले के उतरी भाग में है। इस प्रदेश में अनेक नमकीन पानी के गर्त(रन) हैं जिसमें डीडवाना, डेगाना, सुजानगढ़, तालछापर, परीहारा, कुचामन आदि प्रमुख है।

4 घग्घर का मैदान
गंगानगर हनुमानगढ़ जिलों का मैदानी क्षेत्र का निर्माण घग्घर के प्रवाह क्षेत्र के बाढ़ से हुआ है।

तथ्य
भारत का सबसे गर्म प्रदेश राजस्थान का पश्चिमी शुष्क प्रदेश है।

टीलों के बीच की निम्न भूमी में वर्षा का जल भरने से बनी अस्थाई झीलों को स्थानीय भाषा में टाट या रन कहा जाता है।


 
राष्ट्रीय कृषि आयोग द्वारा राजस्थान के 12 जिलों श्री गंगानगर, हनुमानगढ, बीकानेर, नागौर, चुरू, झुझुनू, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, जालौर व सीकर को रेगिस्तानी घोषित किया।


 
मरूस्थलिय क्षेत्र में पवनों की दिशा के समान्तर बनने वाले बालूका स्तुपों को अनुर्देश्र्य बालूका, समकोण बनाने वाले बालूका स्तुपों को अनुप्रस्थ बालुका कहतें है।

इर्ग:- सम्पूर्ण रेतीला मरूस्थल (जैसलमेर)
हम्माद:- सम्पूर्ण पथरीला मरूस्थल (जोधपुर)
रैंग:- रेतीला और पथरीला (मिश्रित मरूस्थल)
रेगिस्तानी क्षेत्र में बालूका स्तूपों के निम्न प्रकार पाये जाते है।
अनुप्रस्थ:- पवन/वायु की दिषा में बनने वाले बालुका स्तूप (सीधे)
अनुदैध्र्य :- आडे -तीरछे बनने वाले बालुका स्तूप
बरखान :- रेत के अर्द्धचन्द्राकार बालुका स्तूप
2. अरावली पर्वतीय प्रदेश
राज्य के मध्य अरावली पर्वत माला स्थित है। यह विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत माला है। यह पर्वत श्रृंखला श्री केम्ब्रियन (पोलियोजोइक) युग की है। यह पर्वत श्रृखला दंिक्षण-पश्चिम से उतर-पूर्व की ओर है। इस पर्वत श्रृंखला की चैडाई व ऊंचाई दक्षिण -पश्चिम में अधिक है। जो धीरे -धीरे उत्तर-पूर्व में कम होती जाती है। यह दक्षिण -पश्चिम में गुजरात के पालनपुर से प्रारम्भ होकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली तक लम्बी है। जबकि राजस्थान में यह श्रंृखला खेडब्रहमा (सिरोही) से खेतड़ी (झुनझुनू) तक 550 कि.मी. लम्बी है जो कुल पर्वत श्रृंखला का 80 प्रतिशत है।

अरावली पर्वत श्रंृखला राजस्थान को दो असमान भागों में बांटती है। अरावली पर्वतीय प्रदेश का विस्तार राज्य के सात जिलों सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपूर, दौसा और अलवर में। अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई समुद्र तल से 930 मीटर है।

राज्य के कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 10 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

अरावली पर्वतमाला को ऊँचाई के आधार पर तीन प्रमुख उप प्रदेशों में विभक्त किया गया है।

दक्षिणी अरावली प्रदेश
मध्यवर्ती अरावली प्रदेश
उतरी - पूर्वी अरावली प्रदेश
1 दक्षिणी अरावली प्रदेश
इसमें सिरोही उदयपुर और राजसमंद सम्मिलित है। यह पुर्णतया पर्वतीय प्रदेश है इस प्रदेश में गुरूशिखर(1722 मी.) सिरोही जिले में मांउट आबु क्षेत्र में स्थित है जो राजस्थान का सर्वोच्च पर्वत शिखर है।

यहां की अन्य प्रमुख चोटियां निम्न है:-

सेर(सिरोही)-1597 मी. , देलवाडा(सिरोही)-1442 मी. , जरगा-1431 मी. , अचलगढ़- 1380 मी. , कुंम्भलगढ़(राजसमंद)-1224 मी.

प्रमुख दर्रे(नाल)ः- जीलवा कि नाल(पगल्या नाल)- यह मारवाड से मेवाड़ जाने का रास्ता है।

सोमेश्वर की नाल विकट तंग दर्रा,हाथी गढ़ा की नाल कुम्भलगढ़ दुर्ग इसी के पास बना है।

सरूपघाट, देसुरी की नाल(पाली) दिवेर एवं हल्दी घाटी दर्रा(राजसमंद) आदि प्रमुख है।

आबू पर्वत से सटा हुआ उडि़या पठार आबू से लगभग 160 मी. ऊँचा है। और गुरूशिखर खुख्य चोटी के नीचे स्थित है। जेम्स टाॅड ने गुरूशिखर को सन्तों का शिखर कहा जाता है। यह हिमालय और नीलगिरी के बीच सबसे ऊँची चोटी है।

दक्षिणी अरावली रेंज की चोटियाँ
 
गुरु शिखर (सिरोही) 1722 मीटर
सेर (सिरोही) 1597 मीटर
दिलवाड़ा (सिरोही) 1442 मीटर
जारगा (सिरोही) 1431 मीटर
अचलगढ़ (सिरोही) 1380 मीटर
कुंभलगढ़ (राजसमंद) 1224 मीटर
धोनिया 1183 मीटर
हृषिकेश 1017 मीटर
कमलनाथ (उदयपुर) 1001 मीटर
सज्जनगढ़ (उदयपुर) 938 मीटर
लीलागढ़ 874 मीटर
2 मध्यवर्ती अरावली प्रदेश
यह मुख्यतयः अजमेर जिले में फेला है। इस क्षेत्र में पर्वत श्रेणीयों के साथ संकरी घाटियाँ और समतल स्थल भी स्थित है। अजमेर के दक्षिणी पश्चिम में तारागढ़(870 मी.) और पश्चिम में सर्पीलाकार पर्वत श्रेणीयां नाग पहाड़(795 मी.) कहलाती है।

प्रमुख दर्रे:- बर, परवेरियां, शिवपुर घाट, सुरा घाट, देबारी, झीलवाडा, कच्छवाली, पीपली, अनरिया आदि।

मध्य अरावली क्षेत्र की चोटियाँ
गोरमजी (अजमेर) 934 मीटर
तारागढ़ (अजमेर) 870 मीटर
नाग प्रहार (अजमेर) 795 मीटर
3 उतरी - पुर्वी अरावली प्रदेश
इस क्षेत्र का विस्तार जयपुर, दौसा तथा अलवर जिले में है। इस क्षेत्र में अरावली की श्रेणीयां अनवरत न हो कर दुर - दुर हो जाती है। इस क्षेत्र में पहाड़ीयों की सामान्य ऊँचाई 450 से 700 मी. है। इस प्रदेश की प्रमुख चोटियां:- रघुनाथगढ़(सीकर)- 1055 मी. ,खोह(जयपुर)-920 मी. , भेराच(अलवर)-792 मी. , बरवाड़ा(जयपुर)-786 मी.।

उत्तर-पूर्वी अरावली क्षेत्र की चोटियाँ
रघुनाथगढ़ (सीकर) 1055 मीटर
खोह (जयपुर) 920 मीटर
भैरच (अलवर) 792 मीटर
बड़वारा (जयपुर) 786 मीटर
बाबई (झुंझुनू) 780 मीटर
बिलाली (अलवर) 775 मीटर
मनोहरपुरा (जयपुर) 747 मीटर
बैराठ (जयपुर) 704 मीटर
सरिस्का (अलवर) 677 मीटर
सिरावास 651 मीटर
3. पूर्वी मैदानी भाग
अरावली पर्वत के पूर्वी भाग और दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग के दक्षिणी भाग में पूर्व का मैदान स्थित है। यह मैदान राज्य के कुल क्षेत्रफल का 23.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 39 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। इस क्षेत्र में - भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, जयुपर, दौसा, टोंक, भीलवाडा तथा दक्षिण कि ओर से डुंगरपुर, बांसवाडा ओर प्रतापगढ जिलों के मैदानी भाग सम्मिलित है। यह प्रदेश नदी बेसिन प्रदेश है अर्थात नदियों द्वारा जमा कि गई मिट्टी से इस प्रदेश का निर्माण हुआ है। इस प्रदेश में कुओं द्वारा सिंचाई अधिक होती है। इस मैदानी प्रदेश के तीन उप प्रदेश है।

बनास- बांणगंगा बेसीन
चंम्बल बेसीन
मध्य माही बेसीन
1 बनास- बांणगंगा बेसीन
बनास और इसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित यह एक विस्तृत मैदान है यह मैदान बनास और इसकी सहायक बाणगंगा, बेड़च, डेन, मानसी, सोडरा, खारी, भोसी, मोरेल आदि नदियों द्वारा निर्मीत यह एक विस्तृत मैदान है जिसकी ढाल पूर्व की और है।

2 चम्बल बेसीन
इसके अन्तर्गत कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली तथा धौलपुर जिलों का क्षेत्र सम्मिलित है। कोटा का क्षेत्र हाड़ौती में सम्मिलित है किंतु यहां चम्बल का मैदानी क्षेत्र स्थित है। इस प्रदेश में सवाईमाधोपुर, करौली एवं धौलपुर में चम्बल के बीहड़ स्थित है। यह अत्यधिक कटा- फटा क्षेत्र है, इनके मध्य समतल क्षेत्र स्थ्ति है।

3 मध्य माही बेसीन या छप्पन का मैदान
इसका विस्तार उदयपुर के दक्षिण पुर्व से डुंगरपुर, बांसवाडा और प्रतापगढ़ जिलों में है। माही मध्य प्रदेश से निकल कर इसी प्रदेश से गुजरती हुई खंभात कि खाडी में गिरती है। यह क्षेत्र वागड़ के नाम से पुकारा जाता है तथा प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के मध्य भाग में छप्पन ग्राम समुह स्थित है। इसलिए यह भू-भाग छप्पन के मैदान के नाम से भी जाना जाता है।

4. दक्षिण-पूर्व का पठारी भाग
राज्य के कुल क्षेत्रफल का 9.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में राज्य की 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। राजस्थान के इस क्षेत्र में राज्य के चार जिले कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ सम्मिलित है।इस पठारी भग की प्रमुख नदी चम्बल नदी है और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिद्ध, परवन, निवाज, इत्यादि भी है। इस पठारी भाग की नदीयां है। इस क्षेत्र में वर्षा का औसत 80 से 100 से.मी. वार्षिक है। राजस्थान का झालावाड़ जिला राज्य का सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला जिला है और यह राज्य का एकमात्र अति आन्र्द्र जिला है। इस क्षेत्र में मध्यम काली मिट्टी की अधिकता है। जो कपास, मूंगफली के लिए अत्यन्त उपयोगी है। यह पठारी भाग अरावली और विध्यांचल पर्वत के बीच "सक्रान्ति प्रदेष" ( ज्तंदेपजपवदंस इमसज) है।

दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग को दो भागों में बांटा गया है।

हाडौती का पठार - कोटा, बंूदी, बांरा, झालावाड़
विन्ध्यन कगार भूमि - धौलपुर. करौली, सवाईमाधोपुर

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम
भोराठ/भोराट का पठार:- उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।

लासडि़या का पठारः- उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।

गिरवाः- उदयपुर में चारों ओर पहाडि़यों होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।

देशहरोः- उदयपुर में जरगा(उदयपुर) व रागाा(सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।

मगराः- उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।

ऊपरमालः- चित्तौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से लेकर भीलवाडा के बिजोलिया तक का पठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।

नाकोडा पर्वत/छप्पन की पहाडि़याँः- बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में

स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समुह नाकोड़ा पर्वत। छप्पन की पहाड़ीयाँ कहलाती है।
छप्पन का मैदानः- बासवाडा व प्रतापगढ़ के मघ्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है।(56 गावों का समुह या 56 नालों का समुह)

राठः- अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।

कांठलः- माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।

भाखर/भाकरः- पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ीयों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।

खेराड़ः- भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।

मालानीः- जालौर ओर बालोत्तरा के मध्य का भाग।

देवल/मेवलियाः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।

लिटलरणः- राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटल रण कहते है।

माल खेराड़ः- ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।

पुष्प क्षेत्रः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।

सुजला क्षेत्रः- सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।

मालवा का क्षेत्रः- झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।

धरियनः- जैसलमेर जिले का बलुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या 'न' के बराबर धरियन कहलाता है।

भोमटः- डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।

कुबड़ पट्टीः- नागौर के जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है।जिससे शारीरिक विकृति(कुब) होने की सम्भावना हो जाती है।

लाठी सीरिज क्षेत्रः- जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ्र तक पाकिस्तानी सिमा के सहारे विस्तृत एक भु-गर्भीय मीठे जल की पेटी।

इसी लाठी सीरिज के ऊपर सेवण घास उगती है।

बंागड़/बांगरः- शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।

वागड़ः- डुगरपुर व बांसवाड़ा।

शेखावाटीः- चुरू सीकर झुझुनू।

बीहड़/डाग/खादरः- चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डांे को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है।यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है।

सर्वाधिक बीहड़ - धौलपुर में।

मेवातः- उत्तरी अलवर।

कुरूः- अलवर का कुछ हिस्सा।

शुरसेनः- भरतपुर, धौलपुर, करौली।

योद्धेयः- गंगानगर व हनुमानगढ़।

जांगल प्रदेशः- बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।

गुजर्राजाः- जोधपुर का दक्षिण का भाग।

ढूढाड़ः- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।

माल/वल्लः- जैसलमेर।

कोठीः- धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।

अरावलीः- आडवाल।

चन्द्रावतीः- सिरोही व आबु का क्षेत्र।

शिवि/मेदपाट/प्राग्वाटः- उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।

गोडवाडः- बाड़मेर, जालौर सिरोही।

पहाडि़याँ-
मालखेत की पहाडि़याः- सीकर

हर्ष पर्वतः- सीकर

हर्षनाथ की पहाडि़याँः- अलवर

बीजासण पर्वतः- माण्डलगढ़(भीलवाड़ा)

चिडि़या टुक की पहाड़ीः- मेहरानगढ़(जोधपुर)

बीठली/बीठडीः- तारागढ़(अजमेर)

त्रिकुट पर्वतः- जैसलमेर(सोनारगढ़) व करौली(कैलादेवी मन्दिर)

सुन्धा पर्वतः- भीनमाल(जालौर)

इस पर्वत पर सुन्धा माता का मन्दिर है इस मन्दिर में राजस्थान का पहला रोप वे लगाया गया है।(दुसरा रोप वे- उदयपुर में)

मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ीयाः- कोटा व झालावाड़ के बीच।

पठार
पठार स्थान ऊँचाई के आधार पर
उडीया का पठार (1360 मी.) सिरोही 1
आबू का पठार(1200 मी.) सिरोही 2
भोराठ का पठार उदयपुर 3
मैसा का पठार चित्तौड़गढ़ 4
नोट चित्तौड़गढ़ दुर्ग मैसा के पठार पर स्थित है पहाडि़ पर नहीं।

राजस्थान की झीले
राजस्थान देश में जल संसाधनों की सबसे बड़ी कमी का सामना करता है। भारत के कृषि योग्य क्षेत्र का 13.88%, जनसंख्या का 5.67% और देश के पशुधन का लगभग 11% है, लेकिन इसमें केवल 1.16% सतही जल और 1.70% भूजल है। इस प्रकार, लगभग 10% भूमि क्षेत्र वाले राजस्थान में देश का लगभग 1% जल संसाधन है।

राजस्थान में प्राचीन काल से ही लोग जल स्रोतों के निर्माण को प्राथमिकता देते थे।

इस कार्य से संबंधित शब्दों पर एक नजर।

मीरली या मीरवी- तालाब, बावड़ी, कुण्ड आदि के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करने वाला व्यक्ति।
कीणिया- कुआँ खोदने वाला उत्कीर्णक व्यक्ति।
चेजारा- चुनाई करने वाला व्यक्ति।
राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर।

भारत की झीलों की नगरी श्रीनगर।

खारे पानी की झीले मीठे पानी की झीलें
सांभर- जयपुर जयसमंद- उदयपुर
पचभदरा- बाड़मेर राजसमंद- राजसमंद
डीडवाना- नागौर बालसमंद- जोधपुर
लुणकरणसर- बीकानेर आनासागर- अजमेर
फलौदी- जोधपुर फतेहसागर- उदयपुर
कावोद- जैसलमेर फायसागर- अजमेर
रेवासा- सीकर उदयसागर- उदयपुर
तालछापर- चुरू पुष्कर- अजमेर
कुचामन- नागौर कोलायत- बीकानेर
डेगाना- नागौर नक्की- सिरोही
पौकरण- जैसलमेर सिलिसेढ- अलवर
बाप- जोधपुर पिछौला- उदयपुर
कोछोर - सीकर कायलाना- जोधपुर
नावां - नागौर
पीथनपुरी - सीकर

 

 
*राजस्थान की झीले*
केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय झील सरंक्षण कार्यक्रम में राजस्थान की पांच झीलों क्रमश अजमेर की आना सागर , पुष्कर का पुष्कर सरोवर , उदयपुर की पिछोला और फतेहसागर तथा माउंट आबू की नक्की झील को सम्मिलित किया गया है।

राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें
जयसमंद झील /ढेबर झील (उदयपुर)
राजस्थान में मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर(1687-91) कराया गया। इस झील में छोटे-बडे़ सात टापू है। इनमें सबसे बडे़ टापू का नाम बाबा का भागड़ा/भकड़ा है और उससे छोटे का नाम प्यारी है। इन टापूओं पर आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है। जयसंमद झील से उदयपुर जिले को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जयसंमद झील को पर्यटन केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इस झील से श्यामपुरा व भट्टा/भाट दो नहरें भी निकाली गई है।

एशिया/भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील गोविन्द सागर झील(भाखड़ा बांध, हिमाचल प्रदेश)

राजसमंद झील (राजसमंद)
इसका निर्माण मेवाड़ के राजा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76) इस झील का निर्माण करवाया गया। इस झील का उतरी भाग "नौ चौकी" कहलाता है। यही पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे राजप्रशस्ति कहते है जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। राजप्रशस्ति अमरकाव्य वंशावली नामक पुस्तक पर आधारित है जिसके लेखक - रणछोड़ भट्ट तैलंग है। इसके किनारे "घेवर माता" का मन्दिर है।

पिछोला झील (उदयपुर)
14 वीं सदी में इस मीठे पानी की झील का निर्माण राणा लाखा के समय एक पिच्छू नामक बनजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया। पिछौला में बने टापूओं पर 'जगमन्दिर(लैक पैलेस)' व 'जगनिवास(लैक गार्डन पैलेस)' महल बने हुए है। जग मंदिर का निर्माण महाराणा कर्णसिंह ने सन् 1620 ई. में शुरू करवाया तथा जगत सिंह प्रथम ने 1651 ई. में पूर्ण करवाया। मुगल शासक शाहजहां ने अपने पिता से विद्रोह के समय यहां शरण ली थी। जगमन्दिर महल में ही 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप ने नीमच की छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजो को षरण देकर क्रांन्तिकारियों से बचाया था। जगनिवास महल का निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने 1746 ई. में करवाया था। वर्तमान में इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में इन महलों को "लेक पैलेस" के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस झील के समीप "गलकी नटणी" का चबुतरा बना हुआ है। इस झील के किनारे "राजमहल/सिटी पैलेस" है। इसका निर्माण उदयसिंह ने करवाया। इतिहासकार फग्र्यूसन ने इन्हें राजस्थान के विण्डसर महलों की संज्ञा दी। सीसारमा व बुझडा नदियां इस झील को जलापूर्ति करती है। राजस्थान में सौर ऊर्जा चलित प्रथम नाव पिछोला झील में चलाई गई।

आनासागर झील (अजमेर)
अजमेर शहर के मध्य स्थित इस झील का निर्माण अजयराज के पुत्र अर्णाेराज(पृथ्वीराज चौहान के दादा आनाजी) ने 1137 ई. में करवाया। जयानक ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराज विजय में लिखा है कि "अजमेर को तुर्कों के रक्त से शुद्ध करने के लिए आनासागर झील का निर्माण कराया था' क्योंकि इस विजय में तुर्का का अपार खून बहा था। पहाड़ो के मध्य स्थित होने के कारण यह झील अत्यन्त मनोरम दृष्य प्रस्तुत करती है अतः मुगल शासक जांहगीर ने इसके समीप नूरजहां(रूठी रानी) का महल बनवाया। दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है। इस उद्यान में नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया।इसके किनारे जहांगीर ने चश्मा-ए-नूर झरना बनवााया। शाहजहां ने इसी उद्यान में पांच बारहदरी का निर्माण करवाया।

नक्की झील
राजस्थान के सिरोही जिले मे माऊंट आबू पर स्थित नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर तथा सबसे गहरी झील है। राजस्थान की एक मात्र झील जो सर्दियों में जम जाती है। झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ अर्थात यह एक प्राकृतिक झील(क्रेटर झील) है। मान्यता के अनुसार इस झील की खुदाई देवताओं ने अपने नाखुनों से की थी अतः इसे नक्की झील कहा जाता है। यह झील पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। इस झील में टापू है जिस पर रघुनाथ जी का मन्दिर बना है। इसके अलावा इस झील के एक तरफ मेंढक जैसी चट्टान बनी हुई है जिसे "टाॅड राॅक" कहा जाता है। एक चट्टान की आकृति महिला के समान है जिसे "नन राॅक" कहा जाता है। एक आकृति लड़का-लड़की जैसी है जिसे "कप्पल राॅक" कहा जाता है। इसके अलावा यहाँ हाथी गुफा, चंम्पा गुफा, रामझरोखा, पैरट राॅक अन्य दर्शनीय स्थल है। यह झील गरासिया जनजाति का आध्यात्मिक केन्द्र है। अतः लोग अपने मृतको की अस्थियों का विसृजन नक्की झील में ही करते है। इसके समीप ही "अर्बुजा देवी" का मन्दिर स्थित है। अतः इस पर्वत को आबू पर्वत कहा जाता है।

पुष्कर झील
राजस्थान के अजमेर जिले में अजमेर शहर से 12 कि.मी. की दूरी पर पुष्कर झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ है। यह झील भी प्राकृतिक झील है। यह राजस्थान का सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है।इसलिए इसे आदितीर्थ/पांचनातीर्थ/कोंकणतीर्थ/तीर्थो का मामा/तीर्थराज भी कहा जाता है। पुष्कर झील के बारे में मान्यता है कि खुदाई पुष्कर्णा ब्राह्मणों द्वारा कराई गई। अतः पुष्कर झील की संज्ञा दी गई। तथा किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी के हाथ से गिरे तीन कमल के पुष्पों से हुआ जिससे क्रमशः वरीष्ठ पुष्कर, मध्यम पुष्कर, कनिष्ठ पुष्कर का निर्माण हुआ। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां स्नान किया, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, विश्वामित्र ने यहां तपस्या कि, वेदोें को यहां अंतिम रूप से संकलन हुआ। चौथी शताब्दी में कालिदास ने अपनी कृति 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' इसी स्थान पर रची थी। गुरु गोविन्द सिंह ने यहाँ पर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया था। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने कहा कि इस सरोवर की तुलना तिब्बत की मानसरोवर झील के अलावा और किसी से नहीं की जा सकती। इस झील के चारों ओर अनेक प्राचीन मन्दिर है। इनमें ब्रह्माजी का मन्दिर सबसे प्राचीन है जिसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचन्द पारीक ने करवाया था। इसी मन्दिर के सामने पहाड़ी पर ब्रह्मा जी की पत्नि 'सावित्री देवी' का मन्दिर है। जिसमें माँ सरस्वती की प्रतिमा भी लगी हुई है।(राजस्थान के बाड़मेर जिले में आसोतरा नामक स्थान पर एक अन्य ब्रह्मा मन्दिर भी है।)

पुष्कर झील के चारों ओर 52 घाट बने हुए है। इन घाटों पर लोग अपने पित्तरों का लोकर्पण करते है।कार्तिक पूर्णीमा को यहां मेला लगता है दिपदान कि क्रिया होती है आय की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बडा मेला है यहां पर एक महिला घाट भी बना हुआ है जिसे वर्तमान में गांधी घाट कहा जाता है। इसका निर्माण 1912 में मैडम मेरी ने करवाया था। गांधी जी की इच्छा पर उनकी अस्थियों का विसृजन पुष्कर झील में ही किया गया था। इनमें जयपुर घाट सबसे बड़ा है। पुष्कर में राजस्थान में दक्षिण भारतीय शैली का सबसे बड़ा मन्दिर श्री रंग जी का मन्दिर भी बना हुआ है। पुष्कर में आई मिट्टी को साफ करने में 1998 में कनाडा सरकार ने आर्थिक सहायता प्रदान की। पुष्कर के राताड्ढंगा में नाथ पंथ की बैराग शाखा की गद्दी बनी है।

पुष्कर के पंचकुण्ड को मृगवन घोषित किया।

फतहसागर झील (उदयपुर)
राज. के उदयपुर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण मेवाड के शासक जयसिंह ने 1678 ई. में करवाया। बाद में यह अतिवृष्टि होने के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुर्निमाण 1889 में महाराजा फतेहसिंह ने करवाया तथा इसकी आधार शिला ड्यूक आॅफ कनाॅट द्वारा रखी गई। अतः इस झील को फतहसागर झील कहा गया। इस झील में टापु है जिस पर नेहरू उधान बना है इस झील में सौर वैद्यशाला भी बनी है।

फतहसागर झील में अहम्दाबाद संस्थान ने 1975 में भारत की पहली सौर वैद्यशाला स्थापित की। इसी झील के समीप बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई। फतहसागर झील से उदयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है।

उदयपुर के देवाली गांव में स्थित होने के कारण इसे देवाली तालाब भी कहा जाता है।

कोलायत झील (बीकानेर)
राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील के समीप साख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का आश्रम है। इस आश्रम को "राजस्थान का सुन्दर मरूद्यान" भी कहा जाता है। यह आश्रम एन.एच.-62 पर स्थित है।

कोलायत झील की उत्पति कपिल मुनि ने अपनी माता की मुक्ति के लिए की। यहीं पर कार्तिक मास की पूर्णिमा (नवम्बर) माह में मेला भरता है। इस झील में दीप जला कर अर्पण किया जाता है। समीप ही यहां एक शिवालय है जिसमें 12 शिवलिंग है।

सीलीसेठ झील
यह झील अलवर में स्थित है। इसके किनारे अलवर के महाराजा विनयसिंह ने 1845 में अपनी रानी के लिए एक शाही महल (लैक पैलेस) व एक शिकारी लौज का निर्माण करवाया। यह झली ‘राजस्थान का नंदन कानन’ कहलाती है।

उदयसागर झील
यह उदयपुर में स्थित है। इसका निर्माण मेवाड के शासक उदयसिंह ने आयड़ नदी के पानी को रोककर करवाया। इस झील से निकलने के बाद हि आयड़ का नाम बेड़च हो जाता है।

मेवाड़ महाराणा फाउंडेशन के द्वारा उदयसिंह पुरस्कार पर्यावरण के क्षेत्र में दिया जाता है।

फायसागर झील
यह अजमेर में स्थित है। इसका निर्माण बाण्डी नदी(उत्पाती नदी) के पानी को रोककर करवाया गया इसे अंग्रेज इजि. फाॅय के निर्देशन में बनाया गया। इसलिए इसे फाॅय सागर कहते है। इसका जलस्तर अधिक हो जाने पर इसका पानी आनासागर में भेज दिया जाता है।

बालसमंद झील
जोधपुर मण्डोर मार्ग पर स्थित है। इसका निर्माण 1159 में परिहार शासक बालकराव ने करवाया। इस झील के मध्य महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल बनाया।

गजनेर झील(बीकानेर)
इस झील को पानी के शुद्ध दर्पण की संज्ञा दी गई है।

एडवर्ड सागर/गैब सागर(डुंगरपुर)
महारावल गोपीनाथ द्वारा निर्मित इस झील में बादल महल स्थित है।

यहां काली बाई की मुर्ति है।

विवेकानंद का स्मारक स्थित है।

नदसमंद(राजसमंद)
राजसमंद की जीवन रेखा भी कहा जाता है।

कायलाना झील(जोधपुर)
सर प्रताप ने इस झील का निर्माझा करवाया।

इसके पास ही माचिया सफारी पार्क स्थित है।

यहीं पर कागा की छतरीयां है।

मोती झील(भरतपुर)
इसे रूपारेल के पानी को रोक कर बनाया गया है।

इसे भरतपुर की जीवन रेखा भी कहा जाता है।

इस झील से नील हरित शैवाल प्राप्त होता है जिससे नाइट्रोजन युक्त खाद बनती है।

राजस्थान की खारे पानी की प्रमुख झीलें
साॅंम्भर झील
यह झील जयपुर की फुलेरा तहसील में स्थित है। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण चौहान शासक वासुदेव ने करवाया था। यह भारत में खारे पानी की आन्तरिक सबसे बड़ी झील है इसमें खारी, खण्डेला, मेन्था, रूपनगढ नदियां आकर गिरती है। यह झील दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 32 किमी लंबी तथा 3 से 12 किमी तक चौड़ी है।

यह देश का नमक बनाने का सबसे बड़ा आन्तरिक स्त्रोत है यहां मार्च से मई माह के मध्य नमक बनाने का कार्य किया जाता है। यहां पर नमक रेस्ता, क्यार दो विधियों से तैयार होता है। यहां नमक केन्द्र सरकार के उपक्रम "हिन्दुस्तान साॅल्ट लिमिटेड" की सहायक कम्पनी 'सांभर साल्ट लिमिटेड' द्वारा तैयार किया जाता है।

भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7 प्रतिशत यहां से उत्पादित होता है।

यहां पर स्पाईरूलीना नामक शैवाल पाया जाता है जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

यहां पर साल्ट म्यूजियम(रामसर साईट पर्यटन स्थल) बनाया गया है।

दादू दयाल(राजस्थान का कबीर) ने प्रथम उपदेश सांभर झील के किनारे दिये।

इसी झील के किनारे शाकम्भरी माता का मंदिर बना हुआ है। जिसे तीर्थो कि नानी और देवयानी माता भी कह जाता है।

अकबर और जोधा का विवाह भी यहाँ भी हुआ कुरजां और राजहंस पक्षी आते है।

पंचभद्रा (बाड़मेर)
राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोत्तरा के पास स्थित है। इस झील का निर्माण पंचा भील के द्वारा कराया गया अतः इसे पंचभद्रा कहते है। इस झील का नमक समुद्री झील क नमक से मिलता जुलता है। इस झील से प्राप्त नमक में 98 प्रतिषत मात्रा सोडियम क्लोराइड है। अतः यहां से प्राप्त नमक उच्च कोटी है। इस झील से प्राचीन समय से ही खारवाल जाति के 400 परिवार मोरली वृक्ष की टहनियों(वायु रेस्ता विधि) से नमक के (क्रीस्टल) स्फटिक तैयार करते है।

डीडवाना झील (नागौर)
राजस्थान के नागौर जिले में लगभग 4 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैली इस झील में सोडियम क्लोराइड की बजाय सोडियम स्लफेट प्राप्त होता है। अतः यहां से प्राप्त नमक खाने योग्य नहीं है। इसलिए यहां का नमक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होता है।

इस झील के समीप ही राज्य सरकार द्वारा "राजस्थान स्टेट केमिकलवक्र्स" के नाम से दो इकाईयां लगाई है जो सोडियम सल्फेट व सोडियम सल्फाइट का निर्माण करते है। थोड़ी बहुत मात्रा में यहां पर नमक बनाने का कार्य निजी इकाइयों द्वारा भी किया जाता है जिन्हें 'देवल' कहते हैं। इनमें नमक पुराने तरीके से बनाया जाता है।

लूणकरणसर (बीकानेर)
राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित यह झील अत्यन्त छोटी है। परिणामस्वरूप यहां से थोडी बहुत मात्रा में नमक स्थानीय लोगो की ही आपूर्ति कर पाता है। उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है।

लूणकरणसर मूंगफली के लिए प्रसिद्ध होने के राजस्थान का राजकोट कहलाता है।

नावां झील(नागौर)
आदर्श लवण पार्क की स्थापना की गई है।

तथ्य
सांभर क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।

कैस्पियन सागर क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।

खारेपन की दृष्टि से वाॅन झील(तुर्की) सबसे खारी(330 ग्राम) है।

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8 comments

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